बाइकों में तेज आवाज का साइलेंसर इन दिनों शहरवासियों के लिए सिर दर्द बना हुआ है। युवा वर्ग बाइक खरीदने के बाद कंपनी से मिले साइलेंसर को निकालकर तेज ध्वनि करने वाले नए साइलेंसर लगाकर शहर की सड़कों पर सरेआम ध्वनि प्रदूषण कर रहे हैं। जिससे लोग परेशान हो चुके हैं। बता दें कि कुछ माह पहले तो महज बुलेट में ही तेज ध्वनि वाले साइलेंसर देखने को मिलते थे। मगर इन दिनों कोई भी बाइक में शौकीन लोग नए साइलेंसर को निकाल कर लंबी पाइप वाली साइलेंसर लगा रहे हैं। जिससे तेज ध्वनि के साथ साथ फायर की आवाज भी निकलती है। बाइकों की एक्सिल्ल्रेटर बढ़ाकर गलियों में सरेआम ध्वनि प्रदूषण की जा रही हैं। जिसके कारण घर में सो रहे छोटे बच्चे और हार्ट पेसेंट को काफी परेशानी हो रही है। लोगों का कहना है कि ऐसे लोगों पर पुलिस प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए। ताकि लोग राहत की सांस ले सकें।
हर मार्ग पर घूमते हैं ध्वनिप्रदूषण करने वाले
शहर से निकले का मुख्य मार्ग हो या फिर शहर के अंदरूनी मार्ग, गली-मोहल्ले की सड़कों पर साइलेंसर बसे तेज आवाज वाले वाहन सरपट गति से दौड़ रहे है। जिससे आमजन अत्यधिक परेशान है। दो पहिया वाहनों के चालक तेज गति से वाहन दौड़ाने के साथ ही साइलेंसर से तेज आवाज निकाल कर राहगीरों को विचलित करने से बाज नहीं आ रहे है। अस्पताल कालेज, तहसील,बैंक, मंदिर मस्जिद का भी उक्त वाहन चालक ध्यान नहीं रखते जिसके कारण बुजुर्ग,बच्चें,महिलाओं, व दुकानदार व राहगीरों को अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मनचले युवक अपनी बाइकों में तेज आवाज वाले साइलेंसर लगाए हुए है जो किसी भी राहगीर विशेष तौर पर महिलाओं के पास से निकलते ही साइलेंसर से तेज आवाज निकाल कर उन्हें चौंका कर मटरगश्ती करते हुए निकल जाते है। जिससे कभी कभी विवाद की स्थिति भी पैदा हो जाती हैं।
तेज आवाज वाले साइलेंसर लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते है। इन तेज आवाज वाले साइलेंसरो के कारण लोगों में कई तरह की बीमारियों का समाना करना पड़ सकता है। सामान्य तौर पर किसी भी व्यक्ति में कम से कम 80 डेसीबल तक तेज आवाज शोर शराबा सुनने की क्षमता और अधिकतम सीमा 100 डेसीबल तक की होती है। यदि इससे ज्यादा तेज आवाज,शोर शराबा और ध्वनि प्रदूषण होती है तो व्यक्ति के कान का पर्दा क्षतिग्रस्त होने की संभावना रहती है।