सवा सौ साल का इतिहास वाली कांग्रेस... इतिहास के पन्नों में दफन होने की ओर..

अब्दुल सत्तार सिलावट


वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय पत्रकारिता के शिखर छूने के साथ टी.वी. न्यूज चैनलों के संचालन के अनुभवी, चार दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्तित्व assilawat@gmail.com



सवा सौ साल का इतिहास वाली कांग्रेस...


इतिहास के पन्नों में दफन होने की ओर..


निश्चित रूप से पत्रकार की कलम से यह सुझाव कांग्रेस में बैठे बागी... चापलूस और आधारहीन नेताओं को बहुत दुखी करेगा लेकिन आज कांग्रेस के अंदर सुधार की जरूरत है।


यह सुझाव सिर्फ राजस्थान के सचिन पायलट, अशोक गहलोत गुट के लिए नहीं है बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर जिस तरह से कांग्रेस में गुटबाजी क्षेत्रवाद और जातिवाद पनपा है उन सब के लिए यह सुझाव है।


जयपुर। एक बार राष्ट्रीय स्तर पर सौ साल के इतिहास वाली कांग्रेस में अब बागियों,, विद्रोहियों और दूसरी विचारधारा के घुसे लोगों को निकाल कर सफाई अभियान चलाना होगा। पिछले दिनों विधानसभा चुनाव,,, लोकसभा चुनाव और उसके बाद हुई पालिका चुनाव देखने के बाद लगा की दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी,,, भारतीय जनता पार्टी के सामने सवा सौ साल का इतिहास रचने वाली कॉन्ग्रेस की दीवारें बहुत कमजोर हो गई हैं। समय रहते अगर इनकी मरम्मत नहीं हुई तो यह विशाल भवन चरमरा कर गिर जाएगा। और बीजेपी के नेताओं द्वारा दिया गया नारा कांग्रेस मुक्त भारत सही साबित हो जाएगा। बिल्डिंग की दीवारों से मायने है कांग्रेस के अंदर अब लोकतंत्र बचाने.. सांप्रदायिकता से दर और देश की एकता को सामने रखकर निर्णय लेने वाले लोगों की जमात खत्म हो चकी है। अब कांग्रेस में खदगर्ज.. जातिवाद की राजनीति में लिपटे लोग और अब तक जो दूसरों को सांप्रदायिक पार्टी कहा करते थे,,, लेकिन अब खुद कांग्रेस में घोर सांप्रदायिक लोग सिर्फ आम कार्यकर्ता ही नहीं है बल्कि शीर्ष पदों पर कब्जा करके बैठगए हैं। इन्हें अपनी जाति,,,अपने तलवे चाटने वाले और



इनकी हां में हां मिलाने वाले कांग्रेसी ही पसंद है। बाकी अनुसूचित,,, जनजाति,,, पिछड़े और अल्पसंख्यकों को यह सिर्फ कांग्रेस का वोट बैंक मानते हैं। इन्हें सांसद,, विधायक और पालिका चुनाव में भी कोई पद देने पर विरोध में उतर जाते हैं। इसका सबूत पिछले दो दिनों में हुए पालिका चुनाव के चेयरमैन और वाइस चेयरमैन के चुनाव में देखने को मिला है। कांग्रेस में एक भय है कि ऐसे लोगों को निकालेंगे तो इनके साथ कुछ आर कार्यकता भी चले जाएंगे। इस भ्रम को छोड़कर एक बार सवा सौ साल के इतिहास वाली कांग्रेस की मयादा आर नहरू... गांधी....कलाम...पटेल इनके हाथों स पाध से वटवृक्ष बनी कांग्रेस को बचाने के लिए कठोर कदम उठाना होगा। कांग्रेस के बागियों को... कांग्रेस को ब्लैकमेल करने वालों को और कांग्रेस में जातिवाद... क्षेत्रवाद फैलाने वालों को एक बार बाहर का रास्ता दिखाना होगा। और हर बार की तरह 6 साल के लिए


निकाल कर दोबारा उन्हें लेने की गलती करना बंद करना होगा। कांग्रेस को बचाने के लिए कठोर निर्णय इसलिए भी जरूरी है कि आज वरिष्ठ और हाईकमान यह शब्द और उनके आदेश और इनके सझाव मानने वाले कांग्रेसी कम हो चके हैं। ऐसे समय में यदि कांग्रेस ने अपने गिरेबान में झांक कर अपनी गलतियों को ठीक नहीं किया तो यह ऐतिहासिक पार्टी कांग्रेस... इतिहास का पन्ना बनकर रह जाएगी।